अति दूर सं आयल अकिंचन हम बटोही द्वार पर
विनती करू स्वीकार माँ कर जोड़ि दूनू ठाढ़ छी
काली अहीं, दुर्गा अहीं, तारा अहीं हे अम्बिके
श्यामा अहीं, गौरी अहीं, छी माँ अहीं अम्बालिके
हे सिंहवाहिनि अहीं सृष्टिक गति अहीं संहार छी
विनती करू स्वीकार.....
छी शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणि नाम सं वन्दित अहीं
छी सिद्धिधात्री, कूष्मांडा रूप में पूजित अहीं
कात्यायिनी माँ अहीं जीवन सृष्टि केर आधार छी
विनती करू स्वीकार.....
स्कंदमाता, महागौरी रूप में चर्चित अहीं
छी कालरात्रि, चंद्रघंटा रूप में अर्चित अहीं
नौ रूप नवदुर्गा कहाबय, सभक तारणहार छी..
विनती करू स्वीकार.....
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