Monday, October 14, 2013

प्रेम

प्रेम
आब रहि गेल अछि
शब्द्कोशक कोनो पन्ना पर अंकित
एकटा शब्द मात्र

जे वास्तविकता में
तहिना पाओल जाईत अछि
जेना "म्यूजियम" में राखल
कोनो वस्तु

जS कतहु देखा पड़ैत छैक
प्रेम आई
तS मात्र कागतक फूल जेकाँ
जे देखनहुर तS होइत छैक
मुदा गंधहीन
जे फूल रहितो फूल नहिं थीक


Saturday, October 12, 2013

बखरा अप्पन बाँटि लिय...

मन पड़ैत अछि, एक्कहि थारी में नेना में खयल करथि
हमरा अपने हाथ नहाबथि, अपने तखन नहायल करथि
जे कपड़ा-लत्ता तक में कहिओ नहीं कहलनि छाँटि लिय
से कहैत छथि आब भैयारी, बखरा अप्पन बाँटि लिय.

कथी- कथी के बखरा लगतै तकरो लिस्ट भेल तैयार
आँगन, बाड़ी, कोठली चौकी, सब बंटबाक भेलई नेयार
हम कहलियनि स्मृति सेहो आई धरिक सब छाँटि लिय
ओ कह्लनि जे आब भैयारी, बखरा अप्पन बाँटि लिय.

हम कहलियनि की बाँटब ई घास-फूस आ आक-धथुर
थोड़-बहुत होइते रहैत छै संबंधो में तीत मधुर
माय-बापक हम प्रेम कोना कS आधा आधा राखि लिय
ओ कह्लनि जे आब भैयारी, बखरा अप्पन बाँटि लिय.

सजल नेत्र जे माय-बापक छल कोना कS बंटितहुं अहीं कहू
एतबा दिनका प्रेम अहंक जे कोना कS बंटितहुं अहीं कहू
अपना पर अधिकार ने छीनू, हमरो सबटा राखि लिय
ओ कह्लनि जे आब भैयारी, बखरा अप्पन बाँटि लिय.