Saturday, June 15, 2013

जीवन-मृत्यु

की थिक जिनगी, मृत्यु कथी थिक, के ई बूझि सकल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं सदिखन ई पूछि रहल अछि 

के छी  हमसब, किए अबै छी ,
                              जे करैत छी , किए करै छी
किछुए दिन छी, मर्त्यलोक में ,
                             प्रतिदिन ओहि लय किए मरै छी
एहि जिनगी केर बाद कथी थिक , क्यौ की देखि सकल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं....


ईश्वर छथि  त ' कत ' रहै छथि
                               किए ने सबहक कष्ट हरै छथि
मुदा ने छथि संसार एते टा
                              कहू तखन जे के चलबै छथि
प्रश्न शिथिल कयने जाइत अछि, किछु नई सूझि रहल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं....


एही गुनधुन में हम मातल 
                              मूर्ख अपन हम जिनगी काटल 
पैघ लोक सब बड़ ज्ञानी सब 
                              मानल हम छी बेकूफ छाँटल
मुदा निरुत्तर सबठाँ सं कविमन ई घूरि चुकल अछि  
जिज्ञासु मन हमरा सं....

Tuesday, June 4, 2013

सुनल नबको ई मंत्री जी चोर एलैए...

फेर मंत्री के फेरबदल थोड़ भेलैए
सुनल नबको ई मंत्री जी चोर एलैए

सतत मैडम जी, सर जी अनघोल केने छै
सीट पाँछा स' अप्पन ई मोल लेने छै
तें एहि  बेर कपाड़क ई जोर भेलैए
सुनल नबको

कांड एतबे नै सुनू सुनूँ और केने छै
जहल जयबा केर सेहो ई मौज नेने छै
मुदा बोली में जीत गेलै, शोर भेलैए
सुनल नबको

आब कहिया धरि चलतै ई घुघुआमना
कहू उठबई नै  देश तखन बांचत कोना
आंखि फोलू दुनू आब भोर भेलैए
सुनल नबको