Tuesday, November 30, 2010

हम इंटरव्यू लेल छी तैयार....

हम इंटरव्यू लेल छी तैयार....

सूट-बूट पर टाई लगा, हम इत्र समूचा आई लगा
आ ल' प्रमाण-पत्रक भंडार
इंटरव्यू लेल छी तैयार.......

हम सतत वर्ग में प्रथम केलहुं
नाटक गायन में भाग लेलहुं
हो भाषण व हो चित्रकला
सब में हम शीर्षे पर रहलहुं
अपना पर नहि तखनो प्रतीति 
सब कहइत अछि चिंता बेकार
हम छी इंटरव्यू लेल तैयार........

हर इंटरव्यू में फेल भेलहुँ अछि
ओकरा सब लेल खेल भेलहुँ अछि
सबठा, सदिखन भेड़िया-धसान में
हम बस ठेलम-ठेल भेलहुँ अछि
कोनो बेर लहबे करतै
माँ कयने अछि कबुला हज़ार 
हम छी  इंटरव्यू लेल तैयार........

दाढ़ी संग मोछो कटा लेलहुं
हम टाई ठोंठ में सटा लेलहुं
चमचम जूता, उज्जर बुशर्ट
पर कारी पैटो  सिया लेलहुं
ताहू पर स' औ छाटि देत
ज' नहीं छोड़बै  मुस्की फुहार
हम छी  इंटरव्यू लेल तैयार........

सय टा कुल सीटक बात छैक
ओहि पर हज़ार केर हाथ छैक
कतबो हम आगाँ रही पांति में
किछु सीट भी.आई.पी. कात छैक
एहि बेर मुदा संकल्प कयल
कोनो बाधा हो करब पार........
हम छी  इंटरव्यू लेल तैयार........

Saturday, October 23, 2010

कि आब हम सुरक्षित छी?

एक दिन हम बाट भटकि पहुंची गेलहुं जंगल में
छोट, पैघ, ठुठ्ठ, लदल सब तरहक गाछ छल 
सनसनाइत हवा संगे सरसराइत पात छल 
चिडै सबहक चीं चीं केर मद्धिम आवाज़ सेहो

हर्ष संगहि विस्मय भेल प्रकृतिक सुन्दरता पर
आह! कतेक सुन्दर अछि अंतर्मन बाजि उठल
मुग्ध भेल, मग्न भेल, अपलक ओहि दृश्य केर रहलहुं तकैत हम
कि एकरो मेटा देतै ?
क्रुद्ध भेल मन लोकक मानसिक दुर्बलता पर

कोना क्षणिक सुख भरि लेल
नष्ट-भ्रष्ट क दैत अछि यत्न स बनाओल गेल ईश्वर केर चित्रकला

कोना अपन सोफा,पलंग,आलमीरा लेल     
छिन्न-भिन्न क दैत अछि, ईश्वर प्रदत्त ओहि औषधि संसार कें

कोना अपन स्वार्थ सिद्धि कहुना करबाक लेल
आन कोनो प्राणी केर जीबा केर
अधिकारो छीन लेल जाइत छैक

ई सब विचार सोचि मन छल अशांत भेल
बैसि गेलहुं माथ टिका गाछक वात्सल्य में,
ताबत धरि सब अरण्यवासी कें ज्ञात भेलनि,
जे जंगल केर बाहर सँ आयल
दू पैर बला फेरो अछि पशु कोनो

घेरा गेलहुं हम चहुँओर जीव-जंतु सँ
किछु समयावधि बाद अपन आंखि जखन फोलल हम
देखल जे दृश्य प्राण उपरे अटकि गेल
जतेक क्रोध,चिंता छल भीतरे सटकि  गेल
हजारो प्रकारक छल, संख्या त' लाख में
हमर प्राण अटकल छल यमराजक हाथ में

प्रानघ्न पशु सब छल अगिले कतार में
प्राणक एक डोरी छल भगवानो हाथ में
तें कबुला-पाती केर सूची तैयार कयलहु
डरें छल आवाज़ बंद तखनो चीत्कार कयलहु

चौकी सँ खसि पड़लहूँ, धम्म ड़' आवाज़ भेल
आंखि हमर फ़ूजि गेल, नींद सेहो टूटि गेल,
फक्क द' क' सांस छुटल
आब हम सुरक्षित छी
मन में उसास भेल 
मात्र एक स्वप्न छल  ई से तखन ज्ञात भेल

मुदा एक प्रश्न उठल अगिले क्षण मन में
कि आब हम सुरक्षित छी ?
कि सत्ते सुरक्षित छी?




 


Sunday, April 25, 2010

गाछक व्यथा

हमर स्कूल सँ घरक बीच में,
बाट पर छल
एकटा खूब विशाल, फल सँ लदल
पात सँ सजल
गाछ...

जकरा छाहरि    में
हम सब सुस्ताइत छलहुँ
खेलाइत छलहुँ
आ डारि पर चढ़ी फल-फलहरी खाइत छलहुँ

मुदा समयक कुचक्र
ओकर पात कें खसा देलकई
फल केर बिला देलकई
ओतबे  नहि निर्दयी,
ओहि गाछ कें सुखा देलकई

आबो ओही बाटे हम सब चलैत छी
स्कूल जाइत छी आ फेरो घुरैत छी
आबो ओ गाछ हमरा सब दिस तकैत अछि    
ओही हुलसल दृष्टि संगे शोरो पाडैत अछि
मुदा,
आब हमही नहि कोनो बच्चा
ओकरा दिस तकितो नहि छी
आ खेलाइत-धूपाइत   
ओही बाट पर चलैत-फिरैत
ओहि गाछ सँ बहुत दूर चलि जाइत छी 
 
      

Saturday, April 24, 2010

आई "मानव" शब्द केर नहि भाववाचक फुरि रहल............

कथी लेल पाप ली हम माथ पर जे सत कतहु बाजी
जखन फुसिए फटक केर बोलबाला अछि एखन संसार में
श्लीलता, शालीनता केर पाग रखने छी मुदा
अश्लीलता, उद्दंड़ता केर मांग अछि बाज़ार में

कथी लेल बात कोनो कहल गेल हम जेठ केर मानी
चलाबथि  ओ हुकुम व्यर्थे, किये' ने हम कहब प्रतिकार में
माय-बाप संगे रहि प्रतिष्ठा हम खसाबी लोक लग?
वृद्धाश्रम में रहथि ओ  से अछि एखन व्यवहार में

कथी लेल हम करी चिंता, किये' हम आन लेल कानी
जखन अर्थेक अर्थक बोध टा अछि बाँचि गेल संसार में
अपन सुतरय काज से सब टा लगायब व्योंत हम
आन केर सुख-दुखक चिंता की करब बेकार  में ?

कोनो ई छल भयानक स्वप्न व सत्ते विचारक छल भंवर
छी आब चिंताग्रस्त आ भयभीत एहि विचार में
आई "मानव" शब्द केर नहि भाववाचक फुरि रहल
सिद्धांत ओ संवेदना भसिया चुकल अछि धार में