की थिक जिनगी, मृत्यु कथी थिक, के ई बूझि सकल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं सदिखन ई पूछि रहल अछि
के छी हमसब, किए अबै छी ,
जे करैत छी , किए करै छी
किछुए दिन छी, मर्त्यलोक में ,
प्रतिदिन ओहि लय किए मरै छी
एहि जिनगी केर बाद कथी थिक , क्यौ की देखि सकल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं....
ईश्वर छथि त ' कत ' रहै छथि
किए ने सबहक कष्ट हरै छथि
मुदा ने छथि संसार एते टा
कहू तखन जे के चलबै छथि
प्रश्न शिथिल कयने जाइत अछि, किछु नई सूझि रहल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं....
जिज्ञासु मन हमरा सं सदिखन ई पूछि रहल अछि
के छी हमसब, किए अबै छी ,
जे करैत छी , किए करै छी
किछुए दिन छी, मर्त्यलोक में ,
प्रतिदिन ओहि लय किए मरै छी
एहि जिनगी केर बाद कथी थिक , क्यौ की देखि सकल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं....
ईश्वर छथि त ' कत ' रहै छथि
किए ने सबहक कष्ट हरै छथि
मुदा ने छथि संसार एते टा
कहू तखन जे के चलबै छथि
प्रश्न शिथिल कयने जाइत अछि, किछु नई सूझि रहल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं....
एही गुनधुन में हम मातल
मूर्ख अपन हम जिनगी काटल
पैघ लोक सब बड़ ज्ञानी सब
मानल हम छी बेकूफ छाँटल
मुदा निरुत्तर सबठाँ सं कविमन ई घूरि चुकल अछि
मुदा निरुत्तर सबठाँ सं कविमन ई घूरि चुकल अछि
जिज्ञासु मन हमरा सं....
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