ओ जखन पहुंचल
छल
जीवनक ओहि मोड़ पर
जाहिठाम पसरल छलैक
युवावस्थाक सुगंध
आ जाहिठाम सं फुटकैत छलैक
अनेक बाट
ओकरा
नहि भेल छलैक देरी
निर्णय लएबा मे
चट दs धs लेने छल
पोथीक बाट
ओ पढ़ि गेल छल
गाँधी आ भगत सिंहक कथा,
आद्यांत स्वतंत्रता संग्राम
आ चाटि गेल छल अनेक रास ‘रेवोल्यूशन’
ओकर उत्पत्ति स अंत धरि
आब स्पष्ट भs गेल छलैक
ओकर नजरि
देखा रहल छलैक
समाज मे पसरल अनेक भेद
सोचलक जे
"क्रान्ति"
करत
लाठी खायत
धरना देत
जहल जायत
नहि करत चाकरी कोनो सरकारक
आ ने पकड़त
कोनो धन्ना सेठक पैर
मुदा तखनहि स्मृति
सागरक लहरि जकाँ
आबि ओकरा भिजा जाइत छैक
मन पड़ि जाइत छैक
बाबा-बाबीक सजल आंखि
माइक दवाई केर खाली शीशी
बाबूक कर्ज
बहिनक बियाह लेल
ओरियानक नाम पर
राखल मनोरथ
ओ थम्हि जाइत
अछि
आ
राखय लगैत अछि
भारी मन सं,
चौपेति
अपनहि हाथें ईस्त्री कयल “क्रान्ति”
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