Friday, November 20, 2009

व्यथा

हम कोना क' हँसी हम ई बाजी कोना
हमर नोरो सुखा गेल कानी कोना ?

हमरा दिन केर इजोतो अन्हारे लगय
हम जे सोनो उठाबी त' माटिए बनय
हमहूँ नचितहुँ कने से जखन मोन हो
हमर घुघरू हेड़ा गेल नाची कोना?
हम कोना........................................

माछ दहियो सँ जतरा सुजतरा न हो

हम त' डेगो उठाबी जे खतरा न हो

हमहूँ गबितहुं कने से होअय लालसा

कंठ स्वरहीन भ' गेल गाबी कोना ?

हम कोना...................................


फूल केर बीज रोपी त' काँटे उगय

बात केहनो मधुर जग कें कड़ुए लगय

हमहूँ छुबितहुं गगन होय इच्छा प्रबल

छत सेहो नहि बचल नभ कें छूबी कोना?

हम कोना............................................



हमर घूँघरू भेटत मन में अछि आस से

कंठ में स्वर घुरत फेर विश्वास से

ओना छथिहो विधाता सेहो बाम छथि

हम अपन याचना ल' क' पहुँची कोना

हम कोना.......................................

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