कथी लेल पाप ली हम माथ पर जे सत कतहु बाजी
जखन फुसिए फटक केर बोलबाला अछि एखन संसार में
श्लीलता, शालीनता केर पाग रखने छी मुदा
अश्लीलता, उद्दंड़ता केर मांग अछि बाज़ार में
कथी लेल बात कोनो कहल गेल हम जेठ केर मानी
चलाबथि ओ हुकुम व्यर्थे, किये' ने हम कहब प्रतिकार में
माय-बाप संगे रहि प्रतिष्ठा हम खसाबी लोक लग?
वृद्धाश्रम में रहथि ओ से अछि एखन व्यवहार में
कथी लेल हम करी चिंता, किये' हम आन लेल कानी
जखन अर्थेक अर्थक बोध टा अछि बाँचि गेल संसार में
अपन सुतरय काज से सब टा लगायब व्योंत हम
आन केर सुख-दुखक चिंता की करब बेकार में ?
कोनो ई छल भयानक स्वप्न व सत्ते विचारक छल भंवर
छी आब चिंताग्रस्त आ भयभीत एहि विचार में
आई "मानव" शब्द केर नहि भाववाचक फुरि रहल
सिद्धांत ओ संवेदना भसिया चुकल अछि धार में
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